अक्षर ज्ञान के साथ पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान भी जरूरी-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज
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🛑 विश्व साक्षरता दिवस
ऋषिकेश, 8 सितम्बर। विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि साक्षर होना समाज के हर वर्ग और हर व्यक्ति के लिये आवश्यक है। साक्षरता से तात्पर्य केवल अक्षर ज्ञान से नहीं बल्कि साक्षर होने का मतलब हम अपने और अपने परिवेश के बारे में भी जागरूक रहे। बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान होना भी अत्यंत आवश्यक है। बच्चों को स्वच्छता, स्वच्छ परिवेश, जल राशियों को स्वच्छ रखना और अपने कचरे का सही निस्तारण के बारे में जानकारी देना अत्यंत आवश्यक है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में साक्षरता के मापदंड में परिवर्तन करना आवश्यक है। जनसमुदाय को साक्षरता के साथ बढ़ रहे प्रदूषण और बढ़ती जनसंख्या के बारे में भी साक्षर करना अर्थात् जागरूक करना आवश्यक है। साक्षरता से जनमानस में नवीन चेतना का संचार होता है। व्यक्ति केवल अपने बारे में नहीं बल्कि समाज के बारे में, अपने आस-पास, प्रकृति एवं पर्यावरण के बारे में भी सोचने लगता है और यही भाव आज की युवा पीढ़ी में जाग्रत करना होगा।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि बच्चों में चेतना एवं जागृति लाने के लिये परमार्थ निकेतन द्वारा शिक्षा के साथ जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने के लिये कई कार्य किये जा रहे हैं यथा जीवन कौशल प्रशिक्षण, गर्ल पावर प्रोजेक्ट, वाटर स्कूल प्रोजेक्ट के माध्यम से स्वयं जानना, कौशल विकसित करना, स्वच्छता, अपने परिवेश को स्वच्छ रखना, जल का संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण और अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
कोविड- 19 के इस दौर में ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस द्वारा ऑनलाइन माध्यम से कई प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं ताकि युवाओं को जीवन कौशल यौन शिक्षा के बारे में जागरूक किया जा सके।
यूनेस्को के अनुसार, दुनिया भर में 773 मिलियन वयस्क एवं युवा लोगों में अभी भी बुनियादी साक्षरता कौशल की कमी है।