15 नवम्बर बुधवार को ही भाई दूज का पर्व को करना उत्तम होगा।

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भाई दूज के दिन आइए जानते हैं राशि के अनुसार बहनें अपने भाई कौन सा मिष्ठान (मिठाई) खिलाएं*

भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। भाई दूज पर्व के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के प्यार को सुदृढ़ करने का त्यौहार है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक के रूप में दो त्योहार मनाये जाते हैं। पहला रक्षाबंधन जो कि श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्योहार भाई दूज का होता है भाई दूज को भाऊ बीज,टिक्का,यम द्वितीय और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, इसमें बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। अगर इस ‌दिन कोई भाई अपने बहन के हाथों से खाना खाए तो भाई की आयु लंबी होती है। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवम्बर मंगलवार दोपहर 02 बजकर 37 मिनट से शरू होगी और अगले दिन यानी 15 नवम्बर बुधवार को दोपहर 01 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 15 नवम्बर बुधवार को होने के कारण 15 नवम्बर बुधवार को ही भाई दूज का पर्व को करना उत्तम होगा। भैया दूज टीका लगाने का शुभ मुहूर्त 15 नवम्बर बुधवार को सुबह 07 बजकर 04 मिंट से लेकर दोपहर 01 बजकर 48 के पहले कर लेना शुभ होगा। भैया दूज के दिन ऐसे करें पूजा। भैया दूज वाले दिन बहने शुद्ध आसन पर अपने भाई को बिठाकर सबसे पहले बहन अपने भाई के मस्तक पर पर सिंदूर,अक्षत,पुष्प का तिलक लगाकर कलावा बांधे और भाई के मुंह में मिठाई,मिश्री और माखन लगाएं घर पर भाई सभी प्रकार से प्रसन्नचित्त जीवन व्यतीत करें, ऐसी मंगल कामना करें और उसकी लम्बी उम्र की प्रार्थना करें,इसके बाद यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जला कर घर की दहलीज के बाहर रखें जिससे भाई के घर में किसी प्रकार का विघ्न-बाधां न आए और वह सुखमय जीवन व्यतीत करें,इसके बाद भाई बहनों को उपहार दे, सगी बहन ना हो तो मामा, चाचा, मित्र या धर्म बहन से तिलक लगाएं।

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