राजनीति केवल पैसा कमाने का बन बैठा जरिया..!!

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ज्यादातर राजनीति और राजनीति करने वालों को आम जनता के दुख दर्द से कोई मतलब या सरोकार नहीं..!!

लोकतंत्र के लिए स्थिति काफी दुखद और चिंताजनक..!

कहीं यह लिखा देखा कि राजनीति का साथ मौके की यारी है जो समय बदलते ही गला दबाने में एक मिनट की भी देरी नहीं करती है! यह बात दो राजनीति करने वालों की परस्पर प्रतिद्वंद्विता के बीच कुछ देर के लिए सही मानी जा सकती है लेकिन यही बात अगर एक राजनीति करने वाला आम जनता के साथ भी लागू करने लगे तो इसे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी माना जा सकता है! आज यही हो रहा है!
चूंकि आज राजनीति करने वालों के लिए कोई जवाबदेही पारदर्शिता कर्तव्य या कुछ भी सकारात्मक विचार की अनिवार्यता निर्धारित नहीं है! इसलिए जिसे देखा जाए वही राजनीति में चला आता है! राजनीति करने वाले लोगों में से अधिकतर इन दिनों सतही सोच वाले संवेदनहीन मानसिकता के लोग हैं इसलिए राजनीति में गंभीर चिंतन का सर्वथा अभाव होता जा रहा है!आज राजनीति केवल पैसा कमाने का जरिया हो गई है! यह बात सही है कि राजनीति में सांसद या विधायक बनने का मौका बहुत कम लोगों को मिलता है फिर भी बिना सांसद या विधायक बने भी लोग ठेकेदारी पैरवी बड़े नेताओं की दलाली संपदाओं की लूट में साझेदारी आदि वैध अवैध तरीकों से इतना अधिक धन कमा लेते हैं कि उनके लिए कोई उत्पादक कार्य करना असंभव हो जाता है!राजनीतिकों के प्रति समाज में यह धारणा बन गई है कि आज जो भी व्यक्ति राजनीति में है या राजनीति में आना चाहता है उसका उद्देश्य पैसा कमाना है! राजनीति करने वाले के इर्द गिर्द भी जो लोग उसके साथ रहते हैं उनका उद्देश्य भी केवल पैसा कमाना ही हो गया है! नतीजा यह है कि आम जनता नेताओं से काफी दूर हो गई है और राजनीति पूरी तरह सर्कस के रूप में स्थापित हो चुकी है! ऐसा लगता है कि आज की राजनीति और राजनीति करने वालों को आम जनता के दुख-दर्द से कोई मतलब या सरोकार नहीं रह गया है!लोकतंत्र के लिए यह स्थिति काफी दुखद और चिंताजनक है!एक संसदीय लोकतंत्र में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रतिनिधियों से लेकर विधायक और सांसद तक प्रत्येक स्तर पर जनप्रतिनिधियों की व्यवस्था इस अवधारणा के तहत की गई है कि ये प्रत्येक स्तर पर जनता के हक की रखवाली करेंगे! लोकतंत्र में एक जनप्रतिनिधि का सर्वप्रमुख कर्तव्य ही होता है जनता के हक की रखवाली करना और यह सुनिश्चित करना कि उसके क्षेत्र की आम जनता का सरकारी तंत्र द्वारा गलत ढंग से दोहन नहीं किया जाए और सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उसके क्षेत्र की एक एक सुपात्र जनता को सही ढंग से मिले आज स्थिति ऐसी हो गई है कि किसी भी जनप्रतिनिधि को अपने क्षेत्र की जनता की समस्या से कोई सरोकार नहीं रह गया है! आम जनता के बीच जिनको कुछ समझ है और जो लोग जनप्रतिनिधियों के लिए या सरकारी तंत्र के लिए समस्या बन सकते हैं व या तो शांत हैं या दलाल की भूमिका में आ चुके हैं! आम जनता अपने दैनंदिन समस्याओं से घिरी हुई है और संगठित होकर विरोध करने की स्थिति में नहीं है! वह परेशान है और सरकारी तंत्र और राजनीति के बिचौलियों के हाथों लूटी जा रही है!

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