उत्तराखंड चारा विकास नीति प्रस्तावित की जा रही

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उत्तराखंड राज्य में पशुधन हेतु हरे एंव सूखा चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उत्तराखंड चारा विकास नीति प्रस्तावित की जा रही है। जिसको लेकर पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बैठक ली।
सौरभ बहुगुणा ने बताया कि उत्तराखंड चारा नीति 2022 प्रस्तावित श्रीनगर उत्तरकाशी अल्मोड़ा और चंपावत में स्थापित किए जाएंगे चारा बैंक आपदा के समय आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में चारा बैंकों के माध्यम से हेलीकॉप्टर से उपलब्ध कराया जाएगा चारा। आवारा पशुओं के लिए सरकार द्वारा रजिस्टर्ड गौशालाओं को अब प्रति गोवंश ₹10 की जगह ₹30 दिया जाएगा।
उत्तराखंड राज्य में पशुधन हेतु हरे एवं सूखे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उत्तराखंड चारा विकास नीति प्रस्तावित की जा रही है। जहां मंत्री द्वारा यह जानकारी दी गई पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा द्वारा बताया गया उत्तराखंड में पशुधन की गणना 2019 के अनुसार 43,83,000 है पशुधन की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अनुवांशिक सुधार के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक चारे की आवश्यकता है वर्तमान में आवश्यकता के सापेक्ष में हरे चारे में 31% तथा सूखे चारे में 17% की कमी है पर्वतीय क्षेत्रों में अक्टूबर से मार्च तक तथा मैदानी क्षेत्रों में मई से जून तथा सितंबर से नवंबर तक चारे की कमी बनी रहती है चारे की कमी पूर्ति मुख्यतः पंजाब और हरियाणा से आने वाले गेहूं के भूसे से की जाती है भौगोलिक संरचना के कारण प्रदेश आपदा संभावित है जिसके कारण भी चारे की कमी होती है उत्तराखंड चारा विकास नीति का उद्देश्य राज्य के पशुपालकों को पशु धन हेतु सुगमता से वर्ष भर में गुणवत्ता युक्त पर्याप्त मात्रा में चारे की उपलब्धता को सुनिश्चित करते हुए प्रति पशु उत्पादकता के वृद्धि करना तथा चारा विकास में रोजगार सृजन एवं उद्यमिता का विकास करना है ।

चारा नीति का क्रियान्वयन हेतु नोडल पशुपालन विभाग होता है कृषि विभाग कोऑपरेटिव विभाग दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ मंडी परिषद एवं वन विभाग सहायक विभाग होते हैं ।
उत्तराखंड में चारा नीति के कुछ मुख्य बिंदु
चारा नीति के लिए प्रदेशभर के किसानों से एवं पशुपालकों से सुझाव भी मांगे जा रहे हैं यह सुझाव ऑनलाइन समाचार पत्र के द्वारा सोशल मीडिया के द्वारा मांगे जा रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में चारा वृक्ष ही हरे चारे के मुख्य स्रोत होते हैं अतः पशुपालक की सहभागिता से कृषि और अकृषि भूमि पर जैसे भीमल खड़ीक शहतूत कचनार शुभुल मोरिंगा इत्यादि के वृक्षारोपण कर हरे चारे की उपलब्धता को बढ़ाना एवं पौधारोपण के 3 वर्ष उपरांत ₹1000 प्रति वृक्ष प्रोत्साहन धनराशि प्रदान करना राजकीय प्रक्षेत्र के माध्यमों से चारे के बीच जड़ तथा राजकीय क्षेत्रों वन विभाग की नर्सरी से चारा वृक्षों की पौध पशुपालक को निशुल्क उपलब्ध कराना है।
चारा नीति में साइलेज निर्माण मशीन हेतु साइलेंज कोऑपरेटिव फेडरेशन राजकीय प्रक्षेत्र को 75% कैपिटल सब्सिडी प्रदान करना। 3 राज्य के पशुपालकों एवं चारा उत्पादक संगठनों को चारा उत्पादन हेतु पर्याप्त मात्रा में चारा फसलों के प्रमाणित चारा बीच निशुल्क उपलब्ध कराना है।

प्राकृतिक आपदा की स्थिति में चारा आपूर्ति हेतु श्रीनगर गढ़वाल, चिनियालीसौड उत्तरकाशी, बांसवाड़ा अल्मोड़ा, तथा चंपावत, में चारा वितरण बैंक की स्थापना की जाएगी ताकि कंपैक्ट फीड ब्लॉक एवं साइलेज को हेली सेवा के माध्यम से आपदा ग्रस्त क्षेत्रों तक बिना रुकावट चारे की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
मंत्री सौरभ बहुगुणा द्वारा बताया गया चारा नीति के लिए पशुपालकों और किसानों से सुझाव भी मांगे गए हैं यह सुझाव 15 दिन में विभाग को देने होंगे उसके पश्चात उत्तराखंड चारा नीति का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा।
इसके साथ ही मंत्री सौरभ बहुगुणा द्वारा बताया गया कि मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार के कुशल नेतृत्व मैं उत्तराखंड सरकार स्थानीय युवाओं विशेषकर महिलाओं हेतु उद्यमिता विकास द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन के लिए पशुधन क्षेत्र में नई योजनाएं ला रही है इन योजनाओं द्वारा न केवल युवाओं के लिए रोजगार सृजन होगा अपितु यह योजनाएं भूमिहीन एवं सीमांत गरीब किसानों के लिए जीविका के साधन उपलब्ध कराकर रिवर्स माइग्रेशन में सहायक सिद्ध होगी ।

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